खनऊ और आसपास के जिलों पर मंडरा रहा दिमागी बुखार का खतरा पहली जुलाई से संवेदनशील 11 जिलों में घर-घर दस्तक देगा स्वास्थ्य विभाग

 संवाददाता, लखनऊ : पूर्वाचल में बच्चों के लिए काल साबित होने वाला दिमागी बुखार एई (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और जेई (जापानी इंसेफेलाइटिस) अवध के जिलों में भी पैर पसार रहा है। लखनऊ, देवीपाटन मंडल तथा फैजाबाद मंडल के कुछ जिलों को इस मामले में बेहद संवेदनशील पाया गया है। इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग एक जुलाई से 11 जिलों में विशेष अभियान 'दस्तक' चलाएगा। इसके तहत लोगों को जागरूक करने के साथ ही अस्पताल अपग्रेड किए जाएंगे, कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी।


दिमागी बुखार को लेकर गोरखपुर और बस्ती मंडल अत्यंत संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया था। यहां पर पिछले वर्ष ही दस्तक अभियान शुरू कर दिया गया। लखनऊ, सीतापुर, रायबरेली, उन्नाव, लखीमपुर खीरी, हरदोई, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रवस्ती और बाराबंकी जिलों में कुछ मामले सामने आने के बाद अब स्वास्थ्य महकमा इन जिलों में यूनीसेफ के सहयोग से दस्तक अभियान के तहत इस घातक बीमारी से दो-दो हाथ करने की तैयारी में है।


गोरखपुर में दिमागी बुखार के मामलों में आई कमी : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक संचारी रोग डॉ. पुष्पेंद्र अग्रवाल ने बताया कि यूनिसेफ के सहयोग से पिछले वर्ष दस्तक अभियान की शुरुआत की गई थी। गोरखपुर और बस्ती मंडल अत्यंत संवेदनशील की श्रेणी में था। इसलिए यहां पहले चरण में अभियान शुरू किया गया था। यहां दिमागी बुखार में 35 फीसद और इससे मृत्यु दर में 65 फीसद की कमी आई है। दरअसल, दस्तक के तहत जागरूकता से लेकर इलाज के लिए संसाधन उपलब्ध कराने तक पर खास जोर दिया गया है।


 



 


बहराइच जिले और उसके आसपास के इलाकों में दिमागी बुखार के मामले सामने आते रहे हैं। यहां जिला अस्पताल में बच्चों का इलाज किया जाता है (फाइल फोटो) ' जागरण


इलाज में देरी हो सकती है घातक


 


दस्तक दिमागी बुखार और जेई से बचाव तथा नियंत्रण का अभियान है। इसके जरिये हर ऐसे घर में जहां 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं, दस्तक दी जाती है। उन्हें यह संदेश दिया जाता है कि कोई भी बुखार दिमागी बुखार हो सकता है। इलाज में लापरवाही घातक साबित हो सकती है। इसलिए इलाज में देरी न करें। बुखार आते ही तुरंत सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराएं।


यहां चलेगा अभियान


 


लखनऊ, सीतापुर, रायबरेली, उन्नाव, लखीमपुर खीरी, हरदोई, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रवस्ती और बाराबंकी


क्या है दिमागी बुखार


 


एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) या दिमागी बुखार ऐसी घातक बीमारी है जिससे मृत्यु भी हो सकती है। या इलाज के बाद ठीक होने पर भी बहुर से रोगियों में दिमागी या शारीरिक विकलांगता आ सकती है।


कई कारणों से फैलती है यह बीमारी


 


दिमागी बुखार के अनेक कारण हैं जिनमें से जेई और स्क्रब टाईफस मुख्य हैं। दिमागी बुखार के वायरस जानवर, सुअर तथा तालाब में रहने वाली चिड़िया (बत्तख आदि) के शरीर में पनपते हैं। जब मच्छर इनको काटने के बाद मनुष्य को काटते हैं तो बीमारी का संक्रमण फैलता है। स्क्रब टाइफस के कीटाणु बहुत ही छोटे होते हैं और ये चूहे, छंछूदर आदि के शरीर में पनपते हैं और मनुष्यों को संक्रमित करते हैं। एइएस पानी जनित बैक्टीरिया से भी होता है। हालांकि एसइएस की 30 फीसद कारणों का अभी पता ही नहीं चला है।



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